एकपादासन One Leg Posture
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प्रयोगविधि Methodology
सर्वप्रथम दोनों पैरों पर सीधे खड़े हो जाएं। तत्पश्चातू अपने हाथों की सहायता से अपने एक पांव को इतना ऊंचा उठाएं कि उसकी एड़ी दूसरे पांव की जांघ पर जा लगे।
इस स्थिति में सन्तुलन बनाए रखते हुए; अर्थात् एक पांव पर खड़े रहते हुए दोनों हाथों को जोड़कर प्रार्थना की मुद्रा में रहें।
जब तक पांव पर खड़े रहनें में सफलता मिल जाए तब दूसरे पांव से भी यही क्रिया करें। इसमें शरीर को एकदम सीधा रखना चाहिए।
आरम्भ में इस-स्थिति में अधिक समय तक खड़े रहना सम्भव नहीं होगा, परन्तु निरन्तर अभ्यास से सफलता मिलेगी। तब इस स्थिति में भी तीन मिनट तक खड़े रहे।
आरम्भ में यदि गिरने का भय हो तो इस अभ्यास को किसी दीवार आदि का सहारा लेकर किया जा सकता है। आसन की स्थिति में सामान्य रूप से श्वास लें। यह आसन प्रातः व शाम दोनों समय किया जा सकता है।
यह आसन ध्यान लगाने के लिए एक उत्तम आसन है। प्राचीन ऋषि मुनि तथा योगी इस आसन में हठ साधना किया करते थे। मस्तिष्क को एकाग्रचित करके त्राटक बिंदु पर ध्यान लगाया जाता है।
यह आसन शरीर में कांति तथा स्फूर्ति लाता है। इससे मानसिक शांति मिलती है तथा तनाव को दूर करने में सहायता करता है। इस आसन के अभ्यास से स्नायुतंत्र पर प्रभाव पड़ता है।
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