वज्रासन Adamantine Pose
इस आसन को वज्रासन इसलिए कहा जाता है क्यूंकि ये आसन वज्रनाड़ी पर प्रभाव डालता है। वज्रनाड़ी गुदा एवं अंडकोष के मध्य मूलाधार में होती है।
दोनों टांगो को पीछे की ओर मोड़कर भूमि पर बैठ जायें। पैरों के तलवे ऊपर की ओर हों और पैर लेटी हुई मुद्रा में हों। दोनों नितम्ब एड़ियों और पैरों पर टिके हों। दोनों पैरों के अंगूठे एक दूसरे से मिले हुए हों। दोनों हथेलियों को घुटनों पर रखें और हाथों को ढीला छोड़ दें। साँस को सामान्य गति से लेते रहें।
वज्रासन में ध्यान Meditation in Adamantine Pose
इस आसन में त्राटक बिंदु का अभ्यास किया जाता है तथा आँखे बंद करके मूलाधार पर भी ध्यान लगाया जा सकता है।
वज्रासन के लाभ
Benefits of Vajrasana
वज्रासन वायु विकार, अजीर्ण, कब्ज़, पैरों की नसों के विकार तथा थकावट आदि दूर करने में सहायक है। इसमें ध्यान लगाने का आशातीत लाभ प्राप्त होता है। वज्रासन एक अति सरल आसन है।
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