बालों की समस्याएं क्यों होती हैं तथा क्या हैं इसके उपचार /Why do hair problems happen and what are its remedies:

14.6.21

 

बालों की समस्याएं क्यों होती हैं तथा क्या हैं इसके उपचार:

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Why do hair problems happen and what are its remedies:

 

बालों  की समस्याओं से पुरुष तथा महिलायें दोनों परेशान रहते हैं।यद्दपि केशविका की चर्चा सदा से प्रकाश में रही है तथा इसे वंशानुगत भी माना जाता है। किन्तु वर्तमान में कई प्रकार के बनावटी उत्पादों के उपयोग तथा विकृत आहार-विहार के कारण ये समस्या बहुत अधिक बढ़ गई है।

बालों की समस्याएं अनेक प्रकार की होती हैं, इनमे बालों का झड़ना hair fall, गंजापन baldness, रुसी dandruff, सूखी सिर की त्वचा dry scalp, दोमुंहें बाल two headed hair , कमज़ोर बाल weak hair  इत्यादि शामिल हैं।

गंजापन baldness आयुर्वेद में 'इन्द्रलुप्त ' के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद में गंजेपन का कारण वात एवं पित के असंतुलन को माना गया है। अतः इसका उपचार तभी संभव है जब द्विदोषों का निवारण किया जाए तथा ऐसी औषधियों का उपयोग किया जाए जो सीधे बालों की जड़ों को प्रभावित करे।

 

उपचार कैसे करें

 >भिलावा फल जिसे आयुर्वेद में अरुष्कर कहते हैं, इसका उपयोग इन्द्रलुप्त के लिए  उल्लेखित है। इसके बीज का उपयोग किया जाता है। ये त्वचा में बालों की जड़ों को उत्तेजित कर रक्त प्रवाह बढ़ता है तथा बालों के पुनर्जीवन में महत्वपूर्ण योगदान देता है।       

बालों की समस्यायों को दूर करने के लिए अनेक प्रकार की औषधियों के लेपों तथा तेलों का उपयोग वर्णित है :

 >चमेली के पत्ते, कनेर की जड़ एवं लता करंज के बीज के कल्क से तेल निकलकर सिर में लगाएं।

 >भांगरा एवं बेरी के पत्तों का रस निकालकर सिर में बालों के जड़ों में मालिश करें।

 इन उपचारों से बालों की अनेकों समस्यायों जैसे बालों का झड़ना, रुसी, दोमुंहें बाल आदि में लाभ मिलता है तथा बाल मज़बूत एवं घने होते हैं।

 >सेहुड़ का दूध, आक का दूध, भंगरा, कलिहारी, गोमूत्र, चौटनी की जड़, इन्द्रायण तथा सरसों का तेल। इन सब को मिलाकर तथा कूटकर लेप तैयार कर लें तथा प्रतिदिन सिर पर इसका लेप करें। इसका उपयोग लगातार वर्षपर्यंत करना होगा। यह औषधि इन्द्रलुप्त अथवा गंजेपन  में अत्यंत लाभकारी  है।

 >अग्रलिखित सूत्र बालों की सर्व व्याधियों को हरने वाला है तथा इसमें कोई संशय अथवा संदेह नहीं होना चाहिए। सूत्र कदाचित दीर्घ है किन्तु इसका लाभ भी दीर्घ है तथा इसे निसंकोच उपयोग किया जा सकता है।

इसके लिए कुछ औषधीय सामग्री चाहिए जो बड़े करियाना तथा पन्सारी की दुकान पर उपलब्ध होती हैं।

 घी 400ml, तिल 1 kg, चंदनबुर 50gram, जौ 100gram, जटामासी 100gram, लॉन्ग 5gram, जायफल 1, गरीबुरादा 100gram, बादाम 100gram, विल्लभफल 1, गुलाबजल 5ml, सरसों के बीज 100gram , गुग्गल 50gram, काजल 3gram, मुश्कवाला 50gram, ग्लोय 100 gram, रतनजोत 100gram.

 इन सभी को मिला लें तथा सिल्ल अथवा ग्राइंडर में महीन पीस लें। पीसने के लिए थोड़ा थोड़ा पानी मिलाते रहें।  इससे एक बिलकुल महीन तथा गंधयुक्त लेप तैयार हो जाएगा। जब औषधि तैयार हो जाए  तो उसे मिट्टी, काँच या प्लास्टिक के वर्तन में रखें। इसे 2-3 सप्ताह फ्रिज में रखा जा  सकता है। फ्रिज का तापमान इतना हो की मिश्रण जमे नहीं। 

 

प्रयोगविधि

इस औषधि का प्रयोग एक माह तक प्रतिदिन अथवा तीसरे दिन करें। इसका महेंदी की तरह गाढ़ा लेप सिर पर करें तथा 2-3 मिनट तक उँगलियों से सिर की त्वचा पर बालों की जड़ो में मालिश करें। 10-20 मिनट  सिर पर लगा रहने दें। इसके पश्चात्  गर्म पानी से सिर को धो लें।

इसमें घी होने के कारण इसको धोने में कठिनाई आएगी तथा मिश्रण बालों में चिपका  रहता है। इसलिए इसे धोने में थोडा समय लगेगा।  इसके लिए गर्म पानी का इस्तेमाल करें तथा साबुन से धोएं। फिर भी यदि कुछ  तिल के अनपिस्से दाने बालों में रह जाएं तो वे बालों के सूखने पर तथा कंघी से स्वतः साफ हो जाएंगे।

 यह औषधि बालों की सभी प्रकार की समस्यायों में लाभकारी है। इससे बालों का झड़ना तुरंत रुक जाएगा।  बाल मज़बूत एवं घने होते हैं। दोमुहें बाल ठीक करने में सहायक होती है। रुसी तथा सिर की रूखी त्वचा तुरंत ठीक होती है। नए बाल उगने में सहायता करती है। 

 

SultaGohr

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