प्राणायाम Pranayama
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सामान्यतः प्राणायाम से तात्पर्य श्वास अथवा प्राणवायु को नियंत्रित करने की प्रक्रिया से है। प्राणायाम का प्रयोग आसन तथा ध्यान के मध्य होता है। प्राणायाम शरीर तथा मन को स्थूल तथा सूक्ष्म दोनों आयामों पर जोड़ने की प्रक्रिया है।
प्राचीन ऋषियों के अनुसार सांसों के प्रभाव से ही शरीर एवं जीवन शक्ति का सामान्यता नाश होता है। प्राणायाम के द्वारा श्वास के निरर्थक उपयोग को रोका जाता है जिससे शरीर एवं प्राणों को श्वास के विनाशक प्रभाव से बचाया जाता है तथा जिससे दीर्घ जीवन की प्राप्ति होती है।
प्राचीन ऋषि मुनि दीर्घ काल तक प्राणायाम के माध्यम से ध्यान लगाकर समाधि में चले जाते थे। इस दौरान उनकी श्वास न चलने के कारण शरीर काल के प्रभाव से अछूता रहता था।
प्राणायाम की साधना कुंडलिनी चक्रों को जाग्रत करने में सहायक होती है इसके अभ्यास के बिना कुंडलिनी जाग्रत नहीं की जा सकती। वस्तुतः कुंडलिनी का अस्तित्व भौगोलिक शरीर में नहीं होता अपितु सूक्ष्म शरीर में होता है। प्राणायाम की प्रवल साधना तथा ध्यान के माध्यम से ही प्राचीन सिद्ध योगी सूक्ष्म शरीर को स्थूल शरीर से अलग करके ब्रह्माण्ड का विचरण किया करते थे तथा ईश्वर का सानिध्य प्राप्त करते थे।
प्राणायाम के प्रवल अभ्यास से जातक सूक्ष्म शरीर तथा इसकी चेतना तरंगों का अनुभव कर सकते हैं। प्राणायाम श्रम तथा विश्राम अर्थात आसन तथा ध्यान के मध्य की क्रिया है, जिसके अभाव में श्रम/आसन अधूरा है तथा विश्राम/ध्यान निरर्थक।
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प्राणायाम के लाभ Benefits of Pranayama
प्राणायाम आसन तथा ध्यान के मध्य की जाने वाली क्रिया है। इसका अभ्यास मनुष्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।
प्राणायाम से रक्तशोधन blood purification की क्रिया प्रवल होती है जिससे शरीर में रक्त संबंधी विकार दूर होते हैं।
इससे फेफड़ों पर सकरात्मत प्रभाव पड़ता है तथा साफ एवं स्वस्थ होते हैं।
प्राणयाम के लगातार अभ्यास से साँस गहरी होती है, जिससे प्राणवायु oxygen अधिक मात्रा में शरीर को प्राप्त होती है।
इससे हृदय heart को बल मिलता है।
प्राणायाम से शरीर के विषैले तत्व निकल जाते हैं जिससे शरीर स्वस्थ एवं प्रफुल्लित रहता है।
इससे पेट की सबसे दुःखदाई समस्या कब्ज़ Constipation दूर होती है।
इससे जठराग्नि प्रज्वलित होती हे तथा भूख खुलती है।
शरीर की नस नाड़ियां शुद्ध एवं लचीली होती हैं।
प्राणायाम से स्नायुतंत्र को बल मिलता है तथा इसके विकार दूर होते हैं।
प्राणायाम से शरीर बलशाली एवं दीर्घायु होता है।
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प्राणायाम
मस्तिष्क को असीमित बल प्रदान करता है। मस्तिष्क को अधिक मात्रा में रक्त प्राप्त होने के कारण इसके अनेक विकार स्वतः दूर हो जाते हैं तथा बौद्धिक दक्षता में असीमित वृद्धि होती है।
प्राणायाम न केवल योगियों के लिए हितकारी है बल्कि योग न करने वालों के लिए भी लाभकारी है। जो मनुष्य योगासन तथा ध्यान की क्रियाओं को न करके केवल प्राणायाम की ही विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास करे तो उनके लिए भी अतयंत लाभप्रद सिद्ध होता है। जो मनुष्य योगासन, प्राणायाम तथा ध्यान सभी क्रियायों की क्रमशः साधना करता है, वह निश्चित ही विशिष्टतम व्यक्तित्व को प्राप्त करता है।
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प्राणयाम के लिए प्रारंभिक क्रियाओं का परिचय
Introduction to Preparatory Actions for
Pranayama
पूरक
inhale
साँस को अंदर खींचने की क्रिया को पूरक कहते हैं।
रेचक
exhale
साँस को बाहर छोड़ने की क्रिया को रेचक कहते हैं।
कुम्भक
holding the breath
साँस को रोके रखने की क्रिया को कुम्भक कहते हैं।
कुम्भक
दो प्रकार
होते हैं :
आतंरिक
कुम्भक
बाह्या
कुम्भक
आतंरिक
कुम्भक
साँस को पूरक के द्वारा अंदर लेकर उसे अंदर ही रोके रखने की क्रिया को आतंरिक कुम्भक कहते हैं।
बाह्या कुम्भक
साँस को रेचक के द्वारा छोड़कर उसे बाहर ही रोके रखने की क्रिया को बाह्या कहते हैं।
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thats really great
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