सिद्धासन Accomplished Pose
यह सिद्धों का आसन है। इस आसन में लम्बे समय तक बैठकर सिद्धि प्राप्त की जाती है।
photo designed by pexels.com |
प्रयोग विधि
भूमि पर दोनों टांगें सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं। बाईं टांग को घुटने से मोड़कर एड़ी को गुदा एवं अंडकोष के बीच 'मूलाधार ' पर सटा लीजिए। इसके तलवे एवं पंजे को दाईं जांघ से सटा लें।
अब दाईं टाँग को घुटने से मोड़कर एड़ी को जननेंद्रिय के ऊपर से बाएं पैर पर इस प्रकार सटाएं कि इसका पंजा बाईं टांग की पिंडली तथा जांघ से मिला हुआ रहे। कमर रीढ़ गर्दन आदि सीधे रखें। दोनों हाथों को नाभि से नीचे ब्रह्मांजलि मुद्रा में रखें अथवा दोनों घुटनो पर ज्ञानमुद्रा की स्थिति में रखें।
सिद्धासन में ध्यान Meditation in Accomplished Pose
photo designed by pexels.com |
आँखों से नाक की लौ देखें जिससे ललाट के मध्य में दबाव पड़ेगा। इसे एकाग्रचित करने की कोशिश करें तथा ध्यान लगाएं। आँखों को बंद रखकर भी मस्तिष्क में अथवा मूलाधार में ध्यान लगाया सकता है।
ह्रदय रोग, श्वास रोग, यौन रोग, पाचन क्रिया की समस्यायों आदि में अतियंत लाभप्रद है। इसका वास्तविक लाभ मानसिक है। इसमें ध्यान लगाने से मानसिक शान्ति मिलती है। दृष्टि तीव्र होती है। योगीगण यहाँ तक कहते हैं कि भगवान रूद्र इसी मुद्रा में ध्यान लगाते हैं। इसलिए ये आसन विस्मयकारी शक्तिओं को प्रदान करने वाला है। त्राटक बिंदु के खुलने से दृष्टी का भाव बाहरी संसार पर प्रभाव डालने लगता है। इससे चेतना का अभ्युदय होने लगता है।
beneficial blog....
ReplyDelete