पद्मासन Lotus Pose
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योगियों के अनुसार इस आसन के पूरा होने पर शरीर की मुद्रा एक पद्म अर्थात कमल पुष्प के समान हो जाती है। वस्तुतः इसे पद्मासन इसलिए कहते हैं क्यूंकि इसमें बैठकर मनुष्य अपनी चेतना रूपी कमल को विकसित करता है।
पद्मासन योग साधना का एक विशिष्ट आसन है। इसमें शरीर की उन सभी कोशिकाओं का व्यायाम होता हे जो प्रयोग न होने के कारण दृढ़ हो जाती हैं। इसके साथ ये मस्तिष्क में शुद्ध रक्त प्रवाह करता है। इसी कारण ये आसन ध्यान लगाने का सर्वोत्तम आसन माना जाता है।
प्रयोगविधि
भूमि पर ऊनी या सूती वस्त्र का आसन बिछाएं जो काफी मोटा तथा मुलायम हो। उस पर दोनों टांगों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जायें। अब दाईं टांग को पिंडली और पैरों से पकड़कर धीरे धीरे घुटनों पर से मोड़ें। आरम्भ में कठिनाई होगी, इसके लिए धीरे धीरे प्रयास करें। पैर को थोड़ा ऊपर उठाकर अन्दर की ओर खींचिए। अब दाएं पैर की एड़ी को बाईं जांघ की जड़ से लगाकर सटा लें। इस क्रिया में कई दिन लग सकते हैं।
बाईं टांग को घुटने से मोड़कर बायें हाथ से एड़ी तथा दायें हाथ से बायें पैर की एड़ी को पकड़कर थोड़ा ऊपर उठायें। अब बायें पैर की एड़ी को दाईं जांघ की जड़ से सटा लें। फिर हाथों को घुटनों पर रखकर ज्ञानमुद्रा की स्थिति में बनायें। कमर, पीठ, रीढ़, गर्दन आदि सीधी रखें। आरम्भ में पद्मासन ५ सेकण्ड तक ही लगायें, अभ्यास होने पर धीरे धीरे समय बढ़ायें। इस आसन के अभ्यास में अत्यधिक धैर्य की आवश्यकता होती है।
पद्मासन में ध्यान Meditation in Padmasana
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पद्मासन मानसिक एकाग्रता के लिए सर्वोत्तम माना गया है। इसमें ध्यान लगाकर दार्शनिक, व्यावसायिक, राजनितिक, पारिवारिक किसी भी जटिल समस्या का हल ढूंढा जा सकता है। इस आसन में त्राटक बिंदु पर ध्यान लगाया जा सकता है। पद्मासन में मस्तिष्क को एकाग्र करके मूलाधार पर ध्यान लगाकर कुण्डलिनी चक्रों को जागृत किया सकता है। इसके लिए ध्यान योग की पराकाष्ठा तक पहुंचना आवश्यक है।
पद्मासन के लाभ Benefits of Padmasana
पद्मासन से वात रोग, पेट सम्बंधी रोग, गठिया, कब्ज़ आदि रोगों में अतिशाये लाभ प्राप्त होता है। किन्तु यदि इस आसन में ध्यान लगाया जाए तो उसके लाभ असीमित हैं। ध्यान योग की पराकाष्ठा तक पहुंचकर योगी में आलौकिक शक्तियों समावेश हो जाता है। शरीर को अक्षय स्वास्थ्य, दीर्घ यौवन, दीर्घ आयु, सहज ही प्राप्त हो जाते हैं।
nice.........
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