शशांकासन Rabbit Pose
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शशांक अर्थात खरगोश के समान मुद्रा बनाना शशांकासन कहलाता है।
भूमि पर आसन लगा कर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं। गहरी साँस लें तथा दोनों बाजुओं को ऊपर की ओर ताने, हाथों की हथेलियां सामने की ओर खुली हुई हों। अब साँस छोड़ते हुए कमर से झुकें हाथों को सीधा सामने भूमि पर लगाएं तथा माथे को भूमि पर लगाएं। जितनी देर हो सके साँस रोके रखे तथा फिर साँस छोड़ते हुए बापस वज्रासन की मुद्रा में आ जाएं। इस प्रकार शशांकासन का एक चक्र पूर्ण होता है।
सावधानी रखें कि इस आसन को सही विधि से ही करें अन्यथा हानि हो सकती है। कई साधक आरम्भ में अल्प जानकारी अथवा गुरु न होने के कारण इस आसन को गलत विधि से करते हैं जिसमे कपाल को घुटनों के पास लाकर भूमि पर सटा देते हैं। ऐसा करने पर रीढ़ की हड्डी तथा पीठ बुरी तरह से मुड़ जाती है तथा मेरुदंड को क्षति पहुँचने की सम्भावना अत्यधिक होती है। अतः योग आसन सही विधि से तथा आराम से करना चाहिए।
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शशांकासन में ध्यान Meditation in Shashankasana
इस आसन में त्राटक बिंदु विकसित करने, चिंतन करने, किसी समस्या को सुलझाने के लिए ध्यान लगाया जाता है।
शशांकासन के लाभ Benefits of Shashankasan
इस आसन से नस नाड़ियां स्वस्थ एवं लचीली होती हैं। दमा (Asthma) ग्रसित लोगों के लिए शशांकासन लाभप्रद है। हृदय, फेफड़े तथा साँस सम्बन्धी विकारों में लाभदायक सिद्ध होता है। इस आसन से क्रोध शांत करने में सहायता मिलती है।