16.6.21

जन्मकुंडली का फलादेश तथा महादशा विचार

 

जन्मकुंडली का फलादेश तथा महादशा विचार

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कुंडली में 12 भाव होते हैं।  इनमे 12 राशियां  तथा 9 ग्रह होते  हैं। यही ग्रह कुंडली के विभिन्न भावों में स्थित होकर शुभ या अशुभ प्रभाव डालते हैं। तथा एक ही भाव में कई ग्रहों के होने से उनके प्रभाव स्थानानुसार विपरीत होते हैं। अतः जातकों को चाहिए की वे ग्रहयुति प्रभावों का उचित अध्ययन करके फलादेश ज्ञात करें।

जन्म कुंडली द्वारा जातक का फलादेश जानने के लिए जातक की कुंडली की शुद्धता पर विचार करना आवश्यक है।

ज्योतिषविद्दा गणित के समान सूत्रों तथा सिद्धांतों के आधार पर ही चलती है। अतः जन्मकुंडली शुद्ध आंकड़ों तथा उचित नियमो का पालन करते हुए ही निर्मित की जानि चाहिए। जिससे जातक के भविष्य का परिशुद्ध अवलोकन किया जा सके।

 

महादशा विचार

मनुष्य के जीवन में कोन सी घटना कब घटित होगी एवं उसका भविष्य किस प्रकार रहेगा तथा कौन से ग्रह का प्रभाव किस वर्ष पड़ेगा। इन बातों को जानने के लिए  ग्रहों की महादशा उनकी अन्तर्दशा तथा प्राणदशा आदि पर विचार करना चाहिए।

कुल महादशाएं 42 मानी गई हैं।  यहाँ हम दो महादशाओं का अध्ययन करेंगे क्रमशः

 

विंशोत्तरी तथा अष्टोत्तरी महादशा

 

विंशोत्तरी महादशा

विंशोत्तरी महादशा में मनुष्य की आयु 120 वर्ष मानी गई है। इसमें 9 ग्रहों की महादशाओं की गणना की जाती है।

विंशोतरी महादशा का प्रारम्भ सूर्य की महादशा से माना जाता है। उत्तर भारत में अधिकांशतः विशोत्तरी महादशा को मन जाता है।

स्वरशास्त्र के अनुसार जिस जातक का जन्म शुक्ल पक्ष Shukla Paksha में हुआ हो उसके लिए विशोत्तरी महादशा के अनुसार विचार करना चाहिए।

विंशोत्तरी महादशा में विभिन्न ग्रहों की दशा का समय

सूर्य      6 वर्ष             sun        6 years

चंद्र    10 वर्ष             moon   10 years

मंगल  7  वर्ष             Mars      7 years

राहु    18 वर्ष             Rahu    18 years

केतु      7 वर्ष             Ketu       7 years

गुरु     16 वर्ष            jupiter   16 years

शनि   19 वर्ष            saturn   19 years

बुध    17 वर्ष            Mercury 17 years

शुक्र    20 वर्ष           Venus     20 years

इन सभी ग्रहों की सम्मिलित दशा/अवधि को ही विंशोत्तरी महादशा कहा जाता है।

इन्ही के आधार पर सभी ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा तथा प्राणदशा की समान रूप से गणना की जाती है।

विंशोत्तरी महादशा में कौन सी महादशा जातक पर कब लागु होगी इसकी गणना जातक की जन्मकुंडली में स्थित नक्षत्रों के आधार पर की जाती है।

 

अष्टोत्तरी महादशा

अष्टोत्तरी महादशा में मनुष्य की आयु 100 वर्ष मानी जाती है। इसमें कुल 8 ग्रहों की महादशाओं की गणना की जाती है। अष्टोत्तरी महादशा में केतु की दशा नहीं मानी जाती।

दक्षिण भारत में अधिकांशतः अष्टोत्तरी महादशा को माना जाता है। जिन जातकों का जन्म कृष्ण पक्ष Krishna Paksha में होता है उनके लिए अष्टोत्तरी महादशा के आधार पर विचार करना चाहिए।

अष्टोत्तरी महादशा में विभिन्न ग्रहों की दशा का समय

सूर्य      6 वर्ष              sun           6 years

चंद्र     15 वर्ष             moon      15years

मंगल   8 वर्ष             Mars         8 years

राहु     12 वर्ष             Rahu       12 years

गुरु     19 वर्ष            jupiter      19 years

शनि   10 वर्ष            saturn      10 years

बुध     17 वर्ष            Mercury  17  years

शुक्र    21 वर्ष            Venus      21  years

अष्टोत्तरी महादशा में केतु की दशा नहीं मानी गई है। अतः 8 ग्रहों की सम्मिलित अवधि को अष्टोत्तरी महादशा कहते हैं।

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