त्रिकोणासन Triangle Pose
त्रिकोणासन में शरीर की मुद्रा त्रिकोण के समान होती है इसलिए इस आसन को त्रिकोण आसन कहते हैं।
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प्रयोगविधि Methodology
सबसे पहले विश्राम की अवस्था में खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के बिच थोड़ी दुरी बनायें। दाएं हाथ को ऊपर आकाश की ओर उठाएं। हाथ को ऊपर ताने रखें और बाईं ओर नीचे झुकें और बाएं हाथ से बाएं पैर की एड़ी को स्पर्श करें। दायां हाथ सीधा आकाश की ओर रखें अथवा भूमि के समानांतर स्थिति में लाएं। हाथ ऊपर उठाते हुए गहरी साँस लें और एड़ी स्पर्श करते हुए साँस छोड़ें।
अब यही क्रिया विपरीत करें। बायां हाथ ऊपर उठाएं और दाएं हाथ से दाएं पैर की एड़ी छुएं। इस प्रकार त्रिकोणासन का एक चक्र पूरा होता है। सामान्यता तीन चक्रों से शुरू करके दस चक्रों तक इस आसन का अभ्यास किया जाना चाहिए।
त्रिकोणासन के लाभ Benefits of Triangle Pose
इस आसन से बड़ी आंत, जिगर, कमर, मेरुदण्ड, पीठ, कंधे, टांग आदि के विकार दूर होते हैं तथा मांसपेशियों एवं स्नायुतंत्र को लाभ मिलता है।
Triangle Pose त्रिकोणासन
In Triangle Pose, the posture of the body is similar to a triangle, so this asana is called triangle posture.
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Methodology क्रियाविधि
First of all, stand in a state of relaxation. Make a distance between the two legs. Raise the right hand upwards towards the sky. Keep the arm stretched up and bend down to the left and touch the heel of the left foot with the left hand. Keep the right hand straight towards the sky or bring it parallel to the ground. Breathe deeply while raising your hands and exhale while touching the heel.
Now do the opposite. Raise the left hand up and touch the heel of the right foot with the right hand. In this way one cycle of Triangle Pose is completed. Normally this asana should be practiced starting from three chakras to ten chakras.
Benefits of
Triangle Pose त्रिकोणासन के लाभ
With this asana, disorders of the large intestine, liver, waist, spinal cord, back, shoulder, leg etc. are removed and muscles and nervous system are benefited.
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