वक्रासन Twisted Pose
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वक्रासन में पीठ तथा मेरुदंड मुड़ी हुई (Twisted) स्थिति में होती है। इसलिए इसे वक्रासन Twisted Pose कहा जाता है।वक्रासन एक सरल योग आसन है तथा मधुमेह diabetes के रोगियों के लिए लाभप्रद है।
वक्रासन की विधि method of Vakrasana
सर्वप्रथम भूमि पर आसन लगाकर अपने पैरों को फैलाकर बैठें। अपने बाएं पैर को घुटनों से मोड़े और फिर अपने पैर को दाहिने घुटने के पास रखें।साँस छोड़ें और फिर आप अपनी कमर को बाईं ओर मोड़ें और ध्यान रहे की आपकी रीढ़ सीधी रहे।फिर, अपने दाये हाथ को बाईं ओर के पैर की ओर रखे, और आपको इसे इस तरह रखे की दाहिने हाथ की बाहरी तरफ बाएं पैर के बाहरी हिस्से को छूए।अपने बाये हाथ को पीछे ले जाएं और अपनी हथेली को फर्श पर रखे।इसके पश्चात साँस लेते हुए आसन खोलें तथा विपरीत ओर से फिर से आसन दोहराएं। इस प्रकार दो से तीन बार वक्रासन का अभ्यास किया जा सकता है।
वक्रासन में सावधानी Caution in Vakrasana
यदि पीठ मेरुदंड में किसी प्रकार की चोट लगी हो तो इस आसन का अभ्यास नहीं करे। गर्भावस्था के दो से तीन महीने के बाद वक्रासन का अभ्यास न करें। पेट का किसी प्रकार ऑप्रेशन हुआ हो तो इस आसन को नहीं करना चाहिए।
वक्रासन में ध्यान meditation in vakrasana
वक्रासन, मत्स्येन्द्रासन से ही सम्बंधित योगासन है जिसमे योगी मच्छेन्द्रनाथ साधना किया करते थे। इसमें कुण्डलिनी के सभी चक्रों ध्यान लगाया जा सकता है तथा इसमें त्राटक बिंदु पर भी ध्यान लगाया जा सकता है।
वक्रासन के लाभ Benefits of Vakrasana
वक्रासन मेरुदंड तथा पीठ को लचीला बनाता है तथा पीठ की नस नाड़ियों को लचीला बनाकर रक्त प्रवाह को सुचारु करता है।
इससे कमर की अतिरिक्त चर्वी दूर होती है तथा कमर सुंदर एवं सुडौल होती है।
वक्रासन हमारे फेफड़ों के लिए लाभदायक है अतः साँस की पूर्ति तथा गति सुचारु करता है।
वक्रासन गर्दन में दर्द, पीठ दर्द और सिरदर्द में भी लाभ पहुंचता है।
वक्रासन उन लोगों को लाभ पहुंचाता है जो मधुमेह की समस्या से पीड़ित हैं। जब वक्रासन पेट के अंगों की मालिश का काम करता है जिसमें अग्न्याशय शामिल होता है।
इसके अतिरिक्त वक्रासन गठिया तथा कब्ज़ में भी लाभ पहुंचता है।
वक्रासन मेरुदंड के विकारों तथा गृध्रसी (Sciatica) के दर्द को शांत करने में सहायता करता है।
वक्रासन कन्धों तथा छाती को भी चौड़ा तथा मज़बूत करता है।
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